'जया' उड़ें रख प्रीत, निश्चिंत जीवन बीते।। 'जया' उड़ें रख प्रीत, निश्चिंत जीवन बीते।।
जिंदगी खेल नहीं फिर भी लोग फूंकते हैं ज़हरीले शौक, ज़िन्दगी जीने को बहकते हैं जाम हर शा जिंदगी खेल नहीं फिर भी लोग फूंकते हैं ज़हरीले शौक, ज़िन्दगी जीने को बहकते है...
भावों से ज्यादा आज कहीं , बन्धु सामाजिकता का है मोल, भावों से ज्यादा आज कहीं , बन्धु सामाजिकता का है मोल,
तुमने हमें गिर कर भी संभालना सिखाया है। तुमने हमें गिर कर भी संभालना सिखाया है।
कुछ की बांह पकड़कर चलना है, कुछ को साथ लेकर भी चलना है। कुछ की बांह पकड़कर चलना है, कुछ को साथ लेकर भी चलना है।
मगर उस वक्त बड़े होने की जल्दी और ज़िम्मेदारी के बीच नादानियों में ये कहां समझ पाता है अब व्यस्तता ... मगर उस वक्त बड़े होने की जल्दी और ज़िम्मेदारी के बीच नादानियों में ये कहां समझ प...